महातपस्वी की मंगल सन्निधि में आयोजित हुआ ज्ञानशाला प्रशिक्षक सम्मेलन/दीक्षान्त समारोह
-त्रिदिवसीय कार्यक्रम में आचार्यश्री महाश्रमणजी से मिली विशेष प्रेरणा
-साध्वीप्रमुखाजी आदि अन्य चारित्रात्माओं से भी प्रशिक्षकों को मिला मागदर्शन
मुम्बई के नन्दनवन में वर्ष 2023 का चतुर्मास कर रहे युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के तत्त्वावधान में ज्ञानशाला प्रकोष्ठ के द्वारा त्रिदिवसीय ज्ञानशाला प्रशिक्षक सम्मेलन/दीक्षान्त समारोह का समायोजन हुआ। 23 से 25 सितम्बर तक चलने वाले इस सम्मेलन में ज्ञानशाला के प्रशिक्षकों को आचार्यश्री की मंगलवाणी से विशेष प्रेरणा के साथ ही साध्वीप्रमुखाजी आदि अनेक चारित्रात्माओं द्वारा भी विभिन्न सत्रों में मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। अपने आराध्य व अन्य चारित्रात्माओं से मागदर्शन व प्रेरणा प्राप्त कर प्रशिक्षक अभिभूत नजर आ रहे थे।
इस सम्मेलन में लगभग 100 क्षेत्रों के 200 ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाएं संभागी बनीं। 23 सितम्बर को संभागियों को श्रीमती सायर बैद प्रातः साढ़े छह बजे से सात बजे तक प्रेक्षाध्यान, आसान, प्राणायाम का अभ्यास कराया गया। प्रातः नौ बजे युगप्रधान आचार्यश्री से मंगलपाठ का श्रवण करने के उपरान्त श्रीमुख के मंगल प्रवचन श्रवण के साथ सम्मेलन का शुभारम्भ हुआ। दोपहर एक बजे सम्मेलन के प्रथम सत्र में साध्वी सिद्धार्थप्रभाजी द्वारा खेल-खेल में प्रशिक्षकाओं को ज्ञानार्थियों के ज्ञानवर्धन का तरीका बताया। तीन बजे से साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने संभागियों को प्रेरणा प्रदान कीं। तदुपरान्त साध्वीवर्या सम्बुद्धयशाजी ने संभागियों को ‘दायित्व निर्वहन’ विषय पर विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया।
संभागियों ने सायं चार बजे से आचार्यश्री महाश्रमणजी के 50 दीक्षा कल्याणक महोत्सव वर्ष के अवसर पर जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा द्वारा बनाए गए ‘महाश्रमण कीर्तिगाथा’ एग्जिविशन का अवलोकन किया। रात्रिकालीन सत्र में साध्वी सुमतिप्रभाजी, साध्वी शरदयशाजी, साध्वी समताप्रभाजी व साध्वी प्रांजलयशाजी द्वारा ‘समस्या अपनी, समाधान अपना’ विषय पर संभागियों को उत्प्रेरित किया।
24 सितम्बर को प्रातः साढ़े छह बजे से श्रीमती अंजू बाफना ने संभागियों को प्रेक्षाध्यान, आसन व प्राणायाम आदि का प्रशिक्षण दिया। प्रातः नौ बजे से संभागियों को आचार्यश्री की अमृतवाणी के श्रवण का अवसर प्राप्त हुआ। दोपहर के सत्र में माइंडब्रिक्स फाउंडेशन की डायरेक्टर श्रीमती वैदेही अष्टापूतरे की देखरेख में एक्टिविटिज फॉर किड्स कार्यशाला का आयोजन हुआ। तदुपरान्त संभागियों ने मुम्बई ज्ञानशाला द्वारा लगाई खेल प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। रात्रि में संभागियों के लिए खुला सत्र भी आयोजित हुआ।
त्रिदिवसीय सम्मेलन के अंतिम दिन 25 सितम्बर को संभागियों ने रैली के स्वरूप में तीर्थंकर समवसरण में पहुंचे। आज उन्हें युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने विशेष मंगल पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि ज्ञानशाला परियोजना जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा की बहुपयोगी परियोजना है। यह लम्बे समय से संचालित है। ज्ञानशाला में जो भी बच्चों को प्रशिक्षण देते हैं, उनके प्रशिक्षण की बात है। यह प्रशिक्षण मानों बीएड, एमएड की भांति है, जो प्रशिक्षण देने की कला का विकास कर सकता है। ज्ञानशाला के विकास में अभिभावकों का भी प्रसंग होता है। इसके लिए प्रबन्धन संबंधी बातें भी होती हैं। ज्ञानशाला एक व्यापक नेटवर्क है। कितनी-कितनी जगह ज्ञानशालाएं संचालित होती हैं। गुरुदेव तुलसी के समय जन्मी यह व्यवस्था भावी पीढ़ी को सुसंस्कारित बनाने का प्रयास कर रही है। भौतिकता इतनी भी हावी न हो, इसके लिए भौतिकता पर आध्यात्मिकता, संस्कार और अध्यात्म का अंकुश रहना चाहिए। यह अंकुश बच्चों में जन्म से भी विकसीत और पुष्ट हो जाएं तो कोरे भौतिकतावाद से बचा जा सकता है। ज्ञानशाला बच्चों को प्रशिक्षण के माध्यम से अच्छे ज्ञान और संस्कार के विकास का प्रयास करती रहे।
कार्यक्रम के अंत में ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। तेरापंथ महिला मण्डल-मुम्बई ने भी अपनी प्रस्तुति दी व आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके पूर्व ज्ञानशाला के राष्ट्रीय संयोजक श्री सोहनराज चोपड़ा व श्री किशनलाल डागलिया ने अपनी अभिव्यक्ति दी। महासभा के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि विश्रुतकुमारजी ने भी अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए।
दोपहर डेढ़ बजे से दीक्षान्त समारोह आयोजित हुआ। इस दीक्षान्त समारोह में अपनी सन्निधि प्रदान करने के लिए स्वयं शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी तीर्थंकर समवसरण में पधारे। आचार्यश्री की सन्निधि प्राप्त कर प्रशिक्षक अभिभूत नजर आ रहे थे। संभागियों को ज्ञानशाला के राष्ट्रीय संयोजक श्री सोहनराज चोपड़ा व श्रीमती रत्ना कोठारी ने भी प्रशिक्षण प्रदान किया।