जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा तेरापंथ समाज की ‘संस्था शिरोमणि,’ प्रतिनिधि संस्था एवं ‘मां’ के रूप में विख्यात है। समाज की इस गौरवपूर्ण संस्था के द्वारा समाजोत्थान हेतु अनेकानेक आध्यात्मिक और सामाजिक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। एक सदी से भी अधिक आयु वाली धर्मसंघ की इस सर्वाधिक प्राचीन संस्था ने समाज के योगक्षेम हेतु विकास के नए-नए क्षितिज उद्घाटित किए, अपने आयामों से समाज को नई पहचान दी और संघ व संघपति के प्रति सदा सर्वात्मना समर्पित रहकर धर्मसंघ की सुरक्षा और उन्नति में अपना निष्ठापूर्ण, उल्लेखनीय और अविस्मरणीय योगदान दिया। इन उपलब्धियों की शृंखला प्रलम्ब है, जिन्हें महासभा ने परम पूज्य आचार्यों के आशीर्वाद और अपने प्रबल पुरुषार्थ से प्राप्त किया।
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जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के जनकल्याणकारी अवदानों के प्रभावक रूप में सुचारू और सुव्यवस्थित संचालन की दृष्टि से एक ऐसे परिसर की परिकल्पना की गई, जिससे धर्मसंघ की विश्वव्यापी पहचान में अभिवृद्धि हो। जहां पहुंचकर न केवल भारतीय लोग, अपितु विदेशी लोग भी जैन धर्म और तेरापंथ को सुगमता और गहराई के साथ समझ सकें तथा उनके अवदानों से लाभान्वित हो सकें।
तेरापंथ विश्व भारती नामक इस प्रस्तावित विशाल परिसर को धर्मसंघ की कल्याण परिषद् ने स्वीकृति प्रदान करते हुए इसे क्रियान्वित करने का महनीय दायित्व जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा को सौंपा। इस अतिमहत्त्वपूर्ण विशाल परिसर का निर्माण भारत की राजधानी दिल्ली में 50 एकड़ भूमि पर किया जाना प्रस्तावित है।
इस विशाल परिसर में तेरापंथ भवन, इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर, तेरापंथ संग्रहालय एवं चित्रदीर्घा, केंद्रीय संस्थाओं के कार्यालय, अंतर्राष्ट्रीय आवासीय शिक्षण संस्थान, अंतर्राष्ट्रीय ध्यान केंद्र, पुस्तकालय-वाचनालय, साहित्य विक्रय केन्द्र, पंडाल, सामाजिक कार्यक्रम स्थल, सुपर मार्केट आदि का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है।
इस ट्रस्ट में अब तक 100 से अधिक लोगों ने संस्थापक ट्रस्टी बनने की स्वीकृति प्रदान की है। इस ट्रस्ट को आयकर अधिनियम के अंतर्गत 80 G प्राप्त हो चुकी है।
महासभा द्वारा तेरापंथ के दशमाधिशास्ता आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के समाधि स्थल का भव्य निर्माण करवाया गया। 13 दिसम्बर 2013 को परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी के पावन सान्निध्य में इस भव्य स्मारक का लोकार्पण हुआ। आचार्यप्रवर ने इसे ‘अध्यात्म का शांतिपीठ’ के रूप में प्रतिष्ठित किया। समाधि स्थल पर बीस वातानुकूलित कमरों से युक्त अतिथिगृह, भोजनशाला, ध्यान केन्द्र, चित्र दीर्घा, पुस्तकालय, प्रशासनिक कार्यालय आदि व्यवस्थाओं का सृजन भी किया गया है। संपूर्ण समाधि स्थल परिसर को सड़क, पानी, बिजली, सुरक्षा, पार्किंग आदि व्यवस्थाओं के साथ युगानुकूल संसाधनों से सुसज्जित किया गया है। प्रतिवर्ष महासभा द्वारा आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की पुण्यतिथि (वैशाख कृष्णा एकादशी) पर धम्म जागरण, चिकित्सा शिविर एवं विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है।