उपासक श्रेणी सामान्य प्रश्न

  • उपासक-उपासिका कौन बन सकता है?

    सामान्यतया अग्रांकित अर्हता सम्पन्न व्यक्ति ही उपासक-उपासिका बन सकते हैं-

    • जो तेरापंथ धर्मसंघ के प्रति आस्थावान हो एवं जिसके जैन श्वेताम्बर धर्मसंध की सम्यक्त्व दीक्षा ग्रहण की हुई हो।
    • जो सामान्यतया प्रतिवर्ष दो से तीन सप्ताह का समय निर्दिष्ट कार्य एवं स्थान के लिए नियोजित कर सकते हों।
    • जिनमें वक्‍तृत्व की क्षमता हो अथवा उसके विकास की संभावना हो।
    • जो संयम और सादगीपूर्ण जीवन शैली में विश्वास रखने वाले हों।
    • जो सामान्यततया स्वस्थ और श्रमशील हों।
    • जो पूर्णतः व्यसनमुक्त हों |
  • उपासक-उपासिका बनने की प्रक्रिया क्या है?

    उपासक-उपासिका बनने के इच्छुक भाई-बहनों के लिए केन्द्रीय उपासक प्रशिक्षण शिविर में संभागी बनकर प्रशिक्षण प्राप्त करना अनिवार्य होता है। इस प्रशिक्षण शिविर में संभागी बनने के लिए एक प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है। उस परीक्षा में उत्तीर्ण व्यक्ति ही प्रशिक्षण शिविर में संभागी बन सकते हैंl प्रशिक्षण शिविर में प्रशिक्षण के पश्चात् आयोजित परीक्षा में चयनित व्यक्ति ही उपासक-उपासिका बन सकते हैंl

  • उपासक प्रवेश परीक्षा कब व कहां आयोजित होती है?

    प्रतिवर्ष गुरुकुलवास में श्रावण कृष्णा पंचमी के दिन प्रवेश परीक्षा का आयोजन होता है। क्षेत्रीय स्तर पर अपेक्षानुसार कभी भी प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जा सकता है।

  • उपासक प्रशिक्षण शिविर कब, कहां व कितने दिनों के लिए आयोजित होता है ?

    यह शिविर सामान्यतया प्रतिवर्ष परम पूज्य गुरुदेव के पावन सान्निध्य में श्रावण कृष्णा पंचमी से प्रारम्भ होता है । इसकी अवधि प्राय: नौ दिनों की होती है ।

  • उपासक प्रशिक्षण शिविर में संभागी बनने की आयु सीमा क्या है?

    इस शिविर में भाग लेने वाले संभागी की आयु सीमा 25 वर्ष से 60 वर्ष तक है ।

  • उपासक प्रवेश परीक्षा का पाठ्यक्रम क्या है?

    यह पाठ्यक्रम दो भागो में विभक्त है -

    • कंठस्थ- परमेष्ठी वंदना, अर्हत वंदना, पंचपद वंदना, पच्चीस बोल व प्रतिक्रमण (उच्चारण शुद्धि के साथ)
    • समझ- निर्धारित कंठस्थ ज्ञान के साथ जैन तत्व दर्शन पर आधारित कुछ मुख्य विषयों की समझ जरूरी है। इन विषयों का संकलन एक पुस्तिका में किया गया है, जिसे महासभा प्रधान कार्यालय अथवा उपासक श्रेणी के राष्ट्रीय संयोजक से सम्पर्क कर प्राप्त किया जा सकता है।
  • उपासक प्रशिक्षण शिविर का पाठ्यक्रम क्या है?

    उपासक प्रशिक्षण शिविर के पाठ्यक्रम में अग्रांकित विषय सम्मिलित हैं-

    • पच्चीस बोल
    • श्रावक संबोध
    • भगवान महावीर के पूर्व भव
    • भगवान महावीर का जीवन वृत्त
    • पर्युषण के दिवसीय विषय
    • उच्चारण शुद्धि
    • वक्तृत्व शैली
  • उपासिक प्रशिक्षण शिविर की निर्धारित पाठ्य पुस्तकें कहां से प्राप्त की जा सकती हैं?

    सभी पाठ्य पुस्तकें शिविर के प्रारम्भ में नि:शुल्क दी जाती हैं।

  • उपासक-उपासिकाओं की निर्धारित गणवेश क्या है तथा इसे कहां से प्राप्त किया जा सकता है?

    उपासकों के लिए सफेद वस्त्र (चोलपट्टा, पायजामा तथा कमीज कुर्ता आदि) व इसके ऊपर बिना रंगीन बार्डर की सफेद चद्दर एवं बहनों के लिए निर्धारित डिजाइन की साड़ी गणवेश के रूप में निर्धारित हैं। चद्दर व साड़ी उपासक प्रशिक्षण शिविर में नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाती है।

  • प्रशिक्षण शिविर में संभागिता हेतु क्या कोई शुल्क देय होता है?

    प्रशिक्षण शिविर में संभागियों के लिए आवास, भोजन आदि सभी सुविधाएं नि:शुल्क रहती हैं।

  • उपासक-उपासिकाओं की कितनी श्रेणियां हैं?

    उपासक-उपासिकाओं की मुख्यतः दो श्रेणियां हैं-

    1. सहयोगी उपासक-उपासिका
    2. प्रवक्ता उपासक-उपासिका

    सहयोगी उपासक-उपासिका प्रारंभिक भूमिका की श्रेणी है। प्रवक्ता उपासक-उपासिका अपेक्षाकृत परिपक्क उपासक-उपासिकाओं की श्रेणी है। कम से कम दो साल के यात्रा अनुभव के बाद प्रवक्ता उपासक बना जा सकता है। इसके लिए भी पाठ्यक्रम निर्धारित है एवं नियमानुसार परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है। यात्राओं आदि के दौरान प्रवक्ता उपासक-उपासिका अग्रणी के रूप में मुख्य दायित्व का निर्वहन करते हैं और सहयोगी उपासक-उपासिकाएं उनका सहयोग करते हैंl

  • क्या उपासक-उपासिका बनने के बाद प्रतिवर्ष पर्युषण यात्रा करनी अनिवार्य होती है?

    उपासक-उपासिकाओं को निर्देशानुसार यथासंभव पर्युषण यात्रा करनी ही चाहिए, किन्तु विशेष कारण की स्थिति में उसे स्थगित भी किया जा सकता है। समुचित और पुष्ट कारणों के बिना दो वर्षों तक यात्रा नहीं करने वाले उपासक-उपासिकाओं की आगामी यात्रा रोकी जा सकती है।

  • पर्युषण या अन्य समय में आध्यात्मिक सहयोग हेतु उपासक-उपासिका को आमंत्रित करने की प्रक्रिया क्या है?

    पर्युषण पर उपासक-उपासिका को आध्यात्मिक सहयोग हेतु आमंत्रित करने हेतु निर्धारित पर्युषण प्रार्थना पत्र भरकर उसमें उल्लिखित पते पर प्रेषित करना होता है।

    अन्य समयों में उपासक-उपासिकाओं को आमंत्रित करने हेतु पूज्यप्रवर से लिखित निवेदन किया जा सकता है अथवा महासभा / उपासक श्रेणी के राष्ट्रीय संयोजक से भी सम्पर्क किया जा सकता है।

  • उपासक-उपासिकाओं के आगमन की स्वीकृति मिलने के पश्चात उनके लिए स्थानीय तेरापंथी सभा/समाज के द्वारा क्या-क्‍या व्यवस्था करणीय होती है?

    उपासक-उपासिकाओं के लिए विशेष व्यवस्थाओं की अपेक्षा नहीं रहती है, किन्तु अग्रांकित कुछ बिन्दुओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए-

    • उपासक-उपासिकाओं के आगमन की सूचना समाज में प्रसारित करना।
    • उपासक-उपासिकाओं की आवास व्यवस्था आदि।
    • उपासक-उपासिकाओं की भोजन व्यवस्था किस समय किस घर में रहेगी, इसका निर्धारण करना।
    • कार्यक्रम स्थल की साफ़ सफ़ाई, श्रोताओं की बैठक व्यवस्था, माईक व्यवस्था आदि।
  • उपासक-उपासिकाओं के प्रवास के दौरान सभा/समाज के लिए ध्यान रखने योग्य विशेष बिन्दु क्या-क्या हैं?

    उपासकों के प्रवास के दौरान सभा/समाज के लिए ध्यान रखने योग्य विशेष बिन्दु अग्रांकित हैं-

    • उपासक-उपासिकाओं के साथ विचार विमर्श से कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाना, कार्यक्रमों के समय का निर्धारण करना तथा समय-समय पर समाज में सूचनाएं प्रेषित करते रहना।
    • जिनके यहां भोजन के लिए जाना है, उस परिवार का सदस्य समय पर पहुंच कर उपासक-उपासिकाओं को ससम्मान अपने घर ले जाए।
    • उपासक-उपासिकाओं सार-संभाल हेतु परिवारों में जाएं तो उनके साथ ज़िम्मेदार व्यक्ति भी रहें l
    • उपासक-उपासिकाओं के प्रवास का अधिक से अधिक लाभ उठाने का प्रयास करना ।